जब से मैंने होश संभाला तभी से खुद में एक भाव देखा
मैं जब जब अपने दादाजी के यहां बड़ौत (बाग़पत) जाया करता
तो वहां घर की गाय पर मुझे बड़ा प्यार आता था
मैं गाय को पानी पिलाता, चारा डालता और प्यार से उसकी गर्दन पर हाथ फेरता
हमारे यहां खाने के वक़्त पहली रोटी गाय को जाती थी
यही नही मुझे बाकी जगह भी कहीं गाय दिख जाती तो मैं प्यार से उसकी गर्दन पर हाथ फेर देता (आज भी ऐसा करता हूँ)
और गाय का पीला दूध पीने का मौका मैं कभी नही छोड़ता था
लेकिन मुझे बचपन मे कभी समझ नही आया कि मेरे भीतर गाय के प्रति ये भाव क्यों है
जवान होते होते मुझे केवल अपने ही नही बल्कि करोड़ों देशवासियों के गाय के प्रति सम्मान का राज़ पता चला
दरअसल इस संसार मे आदिशक्ति का सबसे पहला अवतरण एक गाय के रूप में हुआ
जिसका नाम था 'सुरभि'
और ये गाय रूपी अवतरण 33 करोड़ देवी-देवता
भीतर धारण किये हुए था
उसी के चलते आज भी भारत के करोड़ों लोग
गाय को माँ का दर्जा देते हैं और उसको पूजनीय मानते हैं
लेकिन ये बात केवल भारत की देसी गाय पर लागू होती है
वो देसी गाय जो सदियों से भारत में घरों में बंधी होती है
और वो इतनी सुंदर होती है कि आपको उसको देखते ही प्यार उमड़ता है (विदेशी नस्ल की गाय पर ऐसा कुछ नही होता)
भगवान श्री कृष्ण ने भी द्वापर युग मे गाय की खूब सेवा की और उसके महत्व का प्रचार किया
लेकिन आज कलियुग में गाय के ऊपर जो तमाशा चल रहा है ये केवल आपका दिमाग खराब करने वाला है
ये वो राजनीति है जिससे आम लोगों को कोई फायदा नही होने वाला
गाय पूर्ण रूप से आस्था का प्रश्न है
मेरे लिए गाय माता समान है इसलिए पूजनीय है
जिसके लिए नही है उसके लिए केवल एक पशु
देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग परंपरा, रिवाज, संस्कृति है और हमने इसी अनेकता में एकता को अपनाया है
इसलिये अगर गौ माता के लिए अगर कुछ करना है तो
जागरूकता फैलाएं, प्लान बनाएं, लागू कराएं
लोगों को गो मांस खाने के नुकसान बताएं
गाय कूड़ेघर में कूड़ा और पॉलिथीन खाकर ना मरे इसके लिए पालिसी बनाएं
दूध न देने वाली जिन गाय को लोग खुला छोड़ देते हैं
उन सड़क पर घूमने वाली गाय के लिए हर ज़िले में
एक गौशाला बनाई जाए जहां उनकी असल मे सेवा हो
बहुत सारी गोशाला में हम दान देते हैं लेकिन फिर भी गाय को ठीक से खाने को मिलता नही
गाय का ठीक से उपचार करवा कर देखा जाए उसने दूध देना क्यों बंद कर दिया या ये कम दूध क्यों देती है?
बहुत सी गाय तो कसाई के यहां इसलिये बेची जाती है क्योंकि वो दूध देने लायक नही रह जाती
और लोगों के पास इतने संसाधन भी नही होते कि वो गाय को बस बैठाकर खिलाएं
क्यों विदेशी गाय खूब दूध देती हैं और देसी गाय बहुत ही कम?
गाय के लिए कुछ वाकई सोचना और करना है तो ये सोचें और करें। राजनीतिक ड्रामेबाज़ी से आम आदमी को कभी कुछ नही मिला ये ध्यान रखें।
अंत मे गाय की महिमा कुछ यूं देखें/सोचें
गाय जीते जी हमको दूध देती है जिससे हमारा शरीर फिट और दिमाग तेज़ बनता है
गोबर देती है जो खाद बनता है ईंधन बनता है
मरने के बाद अपनी खाल भी हमको देती है जिससे चमड़ा बनता है
वो बस हमको देती ही देती है
जीते जी भी और मरकर भी
इसलिये भी हम उसको माँ का दर्जा देते हैं
गौ माता को मेरा प्रणाम
Sharad Sharma, Reporter, NDTV
Tuesday, 30 May 2017
गाय पर पहली बार कुछ लिखा.....
Sunday, 19 February 2017
राजनीती में महिलाएं- एक अनुभव, एक नजरिया
कभी कभी सोचता हूँ कि राजनीती में महिलाओं को मज़बूत करने के नाम पर
स्थानीय निकाय/नगर पालिका/नगर निगम चुनावों में जो 33 % से लेकर 50 % सीटें आरक्षित होती हैं उनका क्या फायदा है ?
अब क्योंकि मैं दिल्ली का हूँ तो दिल्ली की ही बात करता हूँ
दिल्ली नगर निगम में कुल 272 में 136 यानि 50 % सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं
साल 2012 में पिछली बार जब यहाँ चुनाव हुए तो ज़्यादातर नेताओं ने ही अपनी पत्नी को चुनाव लडवा दिया
प्रचार के दौरान होर्डिंग पर उस महिला उम्मीदवार के साथ उसके पति की फोटो भी लगी होती थी
साथ ही महिला उम्मीदवार का नाम इस तरह लिखा जाता था कि लोगों को पता लग जाए कि ये किस नेता की पत्नी है
जैसे मान लीजिये महिला उम्मीदवार का नाम है रजनी शर्मा और उसके नेता पति का नाम है प्रकाश शर्मा
तो उस महिला उम्मीदवार का नाम ''रजनी प्रकाश शर्मा " लिखा जाएगा मानो ये बताया जा रहा हो कि
ये महिला उम्मीदवार केवल महिला सीट की वजह से है असल उम्मीदवार तो इसका पति है
यही नहीं जब कभी बाद में महिला पार्षद या महिला मेयर से मिलने जाते थे तो साथ में इनके नेता पति हमेशा मिलते थे
जो पहले हमसे मुद्दा पूछते थे और फिर अपनी पार्षद/मेयर पत्नी को समझाते थे और फिर वो हमको बयान देती थी
और मान लो हम ने थोड़ा सवाल इधर उधर किया तो बस उनकी हालात खराब
अब फिर नगर निगम के चुनाव आ रहे हैं और इस बार कुछ दूसरी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हुई हैं
एक पार्षद मुझे मिले। मैंने पूछा आप तो इस बार भी चुनाव के लिए तैयार होंगे, टिकट की क्या स्थिति है?
वो बोले "भाई मेरी सीट तो लेडीज़ सीट हो गई"
मैंने कहा तो अब क्या करोगे? वो बोले "अपनी पत्नी को लड़वाउंगा, टिकट के लिए अभी बात चल रही है"
मेरे कुछ सवाल हैं
1 . क्या केवल नेता की ही पत्नी के चुनाव लड़ने मात्र से राजनीती में महिलाएं मज़बूत हो जाएंगी ?
2 . क्या चुनाव लड़ने से ही सब कुछ हो जाएगा ?
3 . उन नई बनी महिला नेताओं का क्या होगा जो पिछली बार तो नेता बनी लेकिन इस बार उनकी सीट पुरुष की गई (रोटेशन ). अब इनको इनके पति या इनकी पार्टी कहाँ मौका देगी ?
4 क्या अब भी इनके पति या इनकी पार्टी इनको नीति/रणनीति बनाने में उतनी ही तवज्जो और भागीदारी देंगे?
मेरा मानना है कि राजनीती में महिलाओं के लिए बहुत जगह है लेकिन कोई इनको आगे नहीं आने देना चाहता। ऐसे में इनको आरक्षण देना ज़रूरी है वरना अगले 100 साल में भी उतनी महिलाएं चुनाव ना जीत पाएं जितनी आरक्षण के बाद जीत रही हैं. लेकिन अकेला आरक्षण कोई बड़ा बदलाव नहीं ला पा रहा.. अरे किसी नेता की पत्नी अगर चुनाव लड़ भी ली तो क्या हुआ? बात तो तब है जब वो राजनीती में आगे बढे और एक्टिव रहे
और सबसे बड़ी बात जब आम महिला या छोटे छोटे कार्यकर्ता स्तर की महिलाएं राजनीती में आगे आएँगी तब राजनीती में महिलाएं मज़बूत होंगी
सोचकर देखिये क्या नेता की पत्नी या बेटियां तो हमारी राजनीती में सालों से लेकिन इनके होने से राजनीती में क्या कुछ बदला? बदलाव तब होता है आम जान की भागीदारी होती
(नोट : ये मेरा अनुभव है जो गलत भी हो सकता है। आलोचना/सुझाव/संशोधन आमंत्रित हैं )
Sunday, 1 January 2017
नोटबंदी का हिसाब मिलना अभी बाकी है
दोस्तों बीते 2 महीने भारत के हर आम आदमी ने तपस्या की
या पीएम मोदी के शब्दों में कहें तो शुद्धि यज्ञ किया
घंटों/दिनों लाइन में लगकर बैंक से अपना ही पैसा निकाला और ऐसा महसूस किया जैसे कोई इनाम जीता हो
बहुत तक़लीफ़ उठाई, बहुत से लोगों ने अपनी जान गँवाई
मैं खुद नोटबंदी को एक योजना के तौर पर समर्थन देता हूँ और मानता हूँ कि नोटबंदी में दिक्कतें तो होनी थी और हुई
एक रिपोर्टर के तौर पर रिपोर्ट किया कि आम लोग इस योजना के पक्ष में हैं
लेकिन इसको जिस तरह लागू किया गया उससे बेहद नाराज़ और परेशान हैं
हालाँकि आखिरी के 20-25 दिन में लोग कहने लगे थे कि इससे कुछ फायदा तो हो नहीं रहा क्योंकि
1. काले धन वाले लोग अपने 500-1000 के नोट कमीशन देकर बदलवा रहे हैं
2. 35% से शुरू हुआ कमीशन आखिरी में 5% तक आ गया जिसमें हाथों हाथ नोट बदलने की खबरें आई
3. ऊपर से सरकार ने काला धन वालों के लिए 50% पर एक तरह माफ़ी योजना भी निकाल दी
4. आम लोग ही लाइन में लगे रहे और नोट-नोट को संघर्ष करते रहे जबकि बाज़ार में 2 हज़ार के नोट की गड्डियां खूब घूमती रही लेकिन सिर्फ ख़ास लोगों के लिए
5. अलग अलग बैंक पर छापा मारने पर इस बात की तस्दीक हुई कि कालाधन कैसे सफ़ेद धन बनाया जा रहा था
खैर अब नोटबंदी का दौर ख़त्म हो चुका है और इस दौरान देश की आम जनता ने बेहद धैर्य के साथ इस दौर को जिया/झेला । इसके लिए हम सभी बधाई के पात्र है। हम सबको को बहुत बहुत बधाई।
लेकिन अब समय है ये जानने का कि नोटबंदी नाम की इस तपस्या या शुध्दि यज्ञ से हमने हासिल क्या किया। क्या क्या सवाल है जिनके जवाब मिलने से हम पता लगाएंगे कि हमारी तपस्या कितनी कामयाब रही
1. नोटबंदी के बाद कितना कालाधन का पता चला
2. कितनी रकम के 500-1000 के नोट बैंकों के पास आये। याद रहे ₹15.44 लाख करोड़ के 500-1000 के नोट 8 नवम्बर को चलन में थे
3. आधी रकम देकर काले को सफ़ेद करने की सरकारी योजना में कितने कालेधन वाले कितना काला धन लाये
4. बैंक या अन्य पर छापा मारकर कुल कितने की रकम पकड़ी गई। इससे हमको पता चलेगा कि कालेधन वालों ने कितनी भी बचने की कोशिश करी लेकिन वो बच नहीं पाए। लोगों का व्यवस्था और कानून में भरोसा बढ़ेगा
5. अब जब नोटबंदी ख़त्म हो गई है तो फिर अपने बैंक खाते से अपना पैसा निकालने पर पाबंदी क्यों बरकरार है?
6. बेशक ATM से अब आप 2500 की बजाय रोज़ 4500 निकाल पाएंगे। लेकिन पाबंदी तो अब भी है।
7. ATM से पैसा निकालने की लिमिट बढ़ाई है लेकिन ATM में आजकल पैसा मिलता कहाँ है? ज़्यादातर ATM तो पोस्टऑफिस जैसे लगते हैं आजकल
ये सवाल मेरे मन में ना उठते अगर साल के आखिरी दिन की शाम को पीएम मोदी ने इसपर बोला होता। मुझे लगा था कि शायद मोदी जी नोटबंदी पर बोलेंगे लेकिन उन्होंने नई योजनाएं अपने एजेंडा पर रखी। मुझे ऐसी उम्मीद इसलिये भी थी क्योंकि सरकार कवर करने वाले पत्रकार ऐसा कह रहे थे कि पीएम नोटबंदी का रिपोर्ट कार्ड देंगे। लेकिन भाषण सुनकर लगा जैसे बजट भाषण का सबसे अहम हिस्सा पीएम ने समय से पहले घोषित कर दिया हो
खैर कोई बात नहीं क्या बोलना है क्या नहीं ये उनका अधिकार है ठीक वैसे ही जैसे सवाल पूछना हमारा अधिकार है।
आज से नया साल शुरू हो रहा है
बीती बातें माफ़ करें,अपने दिल को साफ़ करें
छोटी सी इस ज़िन्दगी में क्रोध,ईर्ष्या, द्वेष को त्याग सबसे प्रेम करें क्योंकि प्रेम का मार्ग ही परमात्मा तक ले जाता है
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।