Sharad Sharma, Reporter, NDTV

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Sunday, 16 March 2014

मुख्यमंत्री और दिल्ली

कहाँ जा रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री ?


दिल्ली का भी क्या नसीब है
जब तक मुख्यमंत्री थी तो 15 साल से ऐसे ऐसे जमी हुई थी जैसे फेविकोल का मज़बूत हो जो टूटता नहीं दिखा
लेकिन 2013 के चुनाव के बाद से दिल्ली का नसीब ही बदल गया
सबसे पहले तो आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने शीला दीक्षित को उनके घर में घुसकर करारी शिकस्त
उसके बाद उनपर भ्रष्टाचार के मामलों में FIR दर्ज करवा दी
15 साल से दिल्ली 
की  गद्दी पर आसीन थी शीला दीक्षित
लेकिन अरविन्द केजरीवाल के हाथों मिली एक हार ने उनका राजनैतिक भविष्य ही ख़तम कर दिया
आखिर उनको केरल का राज्यपाल बनाकर दिल्ली को अलविदा कहना पड़ा
किसी ने सोचा न था कि दिल्ली पर राज करने वाली मुख्यमंत्री को ऐसे दिल्ली छोड़ना होगा


अब बात करिये अरविन्द केजरीवाल की
जो देश के इतिहास के इतिहास के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने
जो बने नहीं बल्कि बनवाये गए, केजरीवाल बोले कि मैं नहीं बनता
लेकिन कांग्रेस और बीजेपी बोले कि कैसे नहीं बनेगा, तू ही बनेगा मुख्यमंत्री
लिहाज़ा अरविन्द केजरीवाल 28 दिसंबर को दिल्ली के 7वे मुख्यकमंत्री बन गए
लेकिन उनकी रफ़्तार इतनी ज़यादा थी कि 14 फरवरी को सरकार से इस्तीफा देकर चल दिए
और अब नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने बनारस कि और कूच करने वाले हैं
यानि दिल्ली के ये भी मुख्यमंत्री से दिल्ली से जा रहे हैं


और अब बात करिये उस शख्स की दिल्ली के अंदर 20 साल पहले मंत्री बना था
दिल्ली में बीजेपी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी था
दिल्ली में बीजेपी सबसे ज़यादा सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी उसके नेतृत्व में बनी
लेकिन उसकी किस्मत देखो वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाया
डॉ  हर्षवर्धन एक साफ़ छवि और शांत स्वभाव वाले व्यक्ति माने जाते हैं
अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफ़ा देने के बाद माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में NDA
कि सरकार अगर बन जाती है तो दिल्ली में 2-4 विधायक इधर उधर से तोड़कर डॉ  हर्षवर्धन
दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सकते हैं लेकिन शनिवार रात को इस अटकल पर पानी फिरता दिखा
बीजेपी ने डॉ साहब को चांदनी चौक से उम्मीदवार बनाया है
यानि अब वो भी दिल्ली कि राजनीती से केंद्र कि राजनीती कि और बढ़ा चुके हैं

अब ज़रा दिल्ली के इन तीन मुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री उम्मीदवार या भावी मुख्यमंत्री को फिर से देखें जो असल में दिल्ली का चेहरा हैं

शीला दीक्षित - राज्यपाल बनकर जा चुकी हैं , उम्र भी बहुत हो चुकी है , कांग्रेस की दिल्ली में अभी वापसी में समय लगेगा और वापसी हो भी जाए तब भी  शीला दीक्षित की  कहानी कम से कम दिल्ली की राजनीती में मुश्किल लगती है

डॉ हर्षवर्धन - चांदनी चौक से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं , जीत गए तो संसद में जायेंगे और हो सकता है कि केंद्र के मंत्री भी बन जाएँ (सारे ओपिनियन पोल NDA को बढ़त दिखा रहे हैं और हर्षवर्धन दिल्ली और बीजेपी के पुराने और वरिष्ठ  नेता हैं) और उसके बाद बीजेपी कोई और चेहरा तलाशेगी दिल्ली के लिए , लेकिन अगर हार गए मुझे इस बात पर शक़ है कि वो मुख्यमंत्री उम्मीदवार रह पाएंगे क्योंकि हारने के बाद उनके विरोधी सक्रिय होकर उनके नेतृत्व पर ये कहकर सवाल उठा सकते हैं कि जो मोदीजी कि हवा होने के बाद भी नहीं जीत सका वो नेता कैसा ?
यहाँ बीजेपी के साथ समस्या ये है कि उसके पास दावेदार बहुत हैं चाहे वो मुख्यमंत्री पद हो या संसद और विधायक का टिकट

अरविन्द केजरीवाल - मोदी से लड़ने दिल्ली छोड़कर बनारस जा रहे हैं, राजनीति और बनारस को समझने वाले ये तो मान रहे हैं कि टक्कर अच्छी हो सकती है लेकिन ये नहीं मान रहे कि केजरीवाल जीत सकते हैं , चलिए फिर भी एक बार को मानकर चलते हैं कि केजरीवाल बनारस से जीत गए तो भी क्या? वो संसद में क्या करेंगे, सरकार तो बननी नही हैं अपने दम पर और पार्टी गठबंधन की राजनीती का विरोध अभी तक करती आयी है (कल क्या हो कौन जानता है ?, राजनीति तो वक़्त और हालत के हिसाब से पहली भी बदली है और आगे भी बदल सकती है) और अगर ये मान लेते हैं कि किसी का समर्थन करके सरकार बनवा देती है आम आदमी पार्टी तो भी केजरीवाल संसद में में क्या करेंगे , वो वापस दिल्ली ही आयेंगे …… और मान लो कि केजरीवाल हार गए तो भी वो वापस दिल्ली ही आयेंगे और दोबारा चुनाव कि सूरत में फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की  दावेदारी करेंगे

अब ये तो मेरा अपना आंकलन है बाकी तो आप लोग और जनता ज़यादा जानती है, और हाँ अगर कुछ स्थिति और बनी या हालत बदले तो मैं लिखने के लिए फिर आउंगा

4 comments:

  1. sir kejriwal ne jab shila ji ke khilaf ladne ka elaan kiiya tha tab bhi en rajneeti ke pandito ne same yahi kaha tha ki takkar to hogi but jeetegi shila hi aur jo hua wo hum sabne dekha ki shila ko sanyaas hi lena pada. aur abhi same yahi condition mujhe modi ji ke liye dikh rah ahai kahi unko bhi sanyaas na lena pade? waise kya coincidence hai ki shila bhi three time siting cm thi aur modi bhi 3 time siting cm hai. ye yuddh dekhne wala hoga.

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  2. Though I am a supporter of AAP, but I believe the battle is quite different this time. Earlier the fight was with an established govt. and he got a time of about one month to create a wave against that govt and also with BJP not having a strong presence in Delhi, this was an easy job. This time the odds are against him, though he will for sure pose a strong fight.

    Delhi is waiting for him. He should prove his mettle in Delhi with a strong govt, and do progressive governance along with activism filled politics thus bringing a revolutionary change in lives of people. I am sure he will do that and states like Delhi will be a model after 5 years more than what Gujarat is at present.

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  3. Dear sharad sir,
    First of congrats for your first two blogs...nw let me comment about your comments on arvind's future...arvind ne agar modi ke samne chunav lada to jeete chahe koi bhi lekin haarenge modi hi(coz whole muslim votes throughout india will go to AAP & some mad hindus like me will also vote AAP which will make AAP's tally of seats so much that modi will be short of no.s big time and his own party's crocodiles will eat him up).rahi baat kejriwal ke future ki to woh jeete ya haare rahenge rashtriya raajneeti mein hi co delhi ke CM bankar bhi rashtriya rajneeti mein modi ke samkash hi rahenge.aur khuda na khasta agar is sab ke baavjud modi g PM ban jaate hain aur kejriwal CM ban jaate hain to roz modi g ke kapde fatenge aur sabhi reporters maze le lekar use cover karenge.haan ye main avashya maanta hn ki agar AAP ki centre mein sarkar banti h to PM kejriwal ni banenge(is bar to nahi)...koi aur hi banega...shayad kumar vishvas....

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  4. शरद भाई थोड़ासा शब्दों को ठीक कर ले बाकि सब बिंदास है काफी अच्छा लिखते है आप बस ऐसे ही विचार हमारे सामने रखते रहिये होली की रंग भरी शुभकामनाये .................

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