आजकल हर दूसरा शख्स जो मुझसे मिलता है
पूछता है भाई क्या सीन लग रहा है दिल्ली का ? किसकी सरकार बनेगी इस बार
और क्योंकि मैं किसी भी तरह की भविष्याणि से परहेज़ करता हूँ
इसलिए मैं कह देता हूँ भाई आप भी यहीं रहते हैं इसलिए आप खुद जानते ही हैं मैं क्या बताऊ ?
तो वो ये कहते हैं कि भाई दिल्ली की गली गली में घूमते हो दिल्ली की राजनीती कवर करते हो इसलिए ..........
अब इस पर मेरा जवाब कुछ इस तरह होता है
'' दिल्ली में अभी क्या माहौल है ये बताने या जानने के लिए किसी को पत्रकार होने की आवश्यकता नहीं है
दिल्ली में रहने वाला या दिल्ली में काम करने वाला आम आदमी इस बात को मानता है कि
इस समय मोदी लहर पर सवार बीजेपी सबसे आगे चल रही है
और माहौल ऐसा ही बना रहा तो बीजेपी 16 साल के बाद पहली बार दिल्ली की गद्दी पर आसीन होगी ''
फिर लोग पूछते हैं कि आम आदमी (पार्टी) का कोई सीन नहीं लग रहा क्या?
अब जब सामने वाला इतना कुछ पूछ रहा तो इसके दो मतलब हो सकते हैं
या तो उसके पास राजनीती को देने के लिए बहुत समय है या फिर
उसको इस बात का यकीन है कि मुझे दिल्ली की राजनीती की समझ है (ये मेरा दावा नहीं)
अब मैं उसको बता कहता हूँ कि
''अगर चुनाव की जीत हार इतनी स्वाभाविक हो तो चुनाव क्यों हो?
आम आदमी पार्टी या यूँ कहें कि अरविन्द केजरीवाल के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के रास्ते में कुछ 'अगर' और 'मगर' हैं
दिल्ली के मिडिल क्लास में बीजेपी मज़बूत है और निचले तबके में आप की स्थिति अच्छी है
लेकिन क्योंकि दिल्ली में मिडिल क्लास बड़ी संख्या में हैं इसलिए
1 . जब तक आम आदमी पार्टी मिडिल क्लास वोटबैंक में सेंध नहीं लगाएगी
2 . या फिर ये हो कि मिडिल क्लास वोट करने कम जायेगी (कुछ सालों पहले खूब होता रहा)
3 . या फिर मिडिल क्लास में कांग्रेस कुछ अच्छा डेंट मार जाए
अगर इन तीनों में से कोई एक भी पॉइन्ट 'आप' के हक़ में चला गया
मगर ये ध्यान में रखते हुए कि आप निचले तबके और अल्पसंख्यक वोटों में अच्छी पकड़ बनाये रखती है
तो अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री बनकर फिर दिल्ली की गद्दी पर आएंगे
और अगर नहीं तो फिर जिसको नरेंद्र मोदी चाहेंगे वो दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनेगा ''
शुरूआती आंकलन है , चुनावी माहौल रोज़ बदलता है और यही राजनीती और लोकतंत्र मज़ा है
पूछता है भाई क्या सीन लग रहा है दिल्ली का ? किसकी सरकार बनेगी इस बार
और क्योंकि मैं किसी भी तरह की भविष्याणि से परहेज़ करता हूँ
इसलिए मैं कह देता हूँ भाई आप भी यहीं रहते हैं इसलिए आप खुद जानते ही हैं मैं क्या बताऊ ?
तो वो ये कहते हैं कि भाई दिल्ली की गली गली में घूमते हो दिल्ली की राजनीती कवर करते हो इसलिए ..........
अब इस पर मेरा जवाब कुछ इस तरह होता है
'' दिल्ली में अभी क्या माहौल है ये बताने या जानने के लिए किसी को पत्रकार होने की आवश्यकता नहीं है
दिल्ली में रहने वाला या दिल्ली में काम करने वाला आम आदमी इस बात को मानता है कि
इस समय मोदी लहर पर सवार बीजेपी सबसे आगे चल रही है
और माहौल ऐसा ही बना रहा तो बीजेपी 16 साल के बाद पहली बार दिल्ली की गद्दी पर आसीन होगी ''
फिर लोग पूछते हैं कि आम आदमी (पार्टी) का कोई सीन नहीं लग रहा क्या?
अब जब सामने वाला इतना कुछ पूछ रहा तो इसके दो मतलब हो सकते हैं
या तो उसके पास राजनीती को देने के लिए बहुत समय है या फिर
उसको इस बात का यकीन है कि मुझे दिल्ली की राजनीती की समझ है (ये मेरा दावा नहीं)
अब मैं उसको बता कहता हूँ कि
''अगर चुनाव की जीत हार इतनी स्वाभाविक हो तो चुनाव क्यों हो?
आम आदमी पार्टी या यूँ कहें कि अरविन्द केजरीवाल के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के रास्ते में कुछ 'अगर' और 'मगर' हैं
दिल्ली के मिडिल क्लास में बीजेपी मज़बूत है और निचले तबके में आप की स्थिति अच्छी है
लेकिन क्योंकि दिल्ली में मिडिल क्लास बड़ी संख्या में हैं इसलिए
1 . जब तक आम आदमी पार्टी मिडिल क्लास वोटबैंक में सेंध नहीं लगाएगी
2 . या फिर ये हो कि मिडिल क्लास वोट करने कम जायेगी (कुछ सालों पहले खूब होता रहा)
3 . या फिर मिडिल क्लास में कांग्रेस कुछ अच्छा डेंट मार जाए
अगर इन तीनों में से कोई एक भी पॉइन्ट 'आप' के हक़ में चला गया
मगर ये ध्यान में रखते हुए कि आप निचले तबके और अल्पसंख्यक वोटों में अच्छी पकड़ बनाये रखती है
तो अरविन्द केजरीवाल मुख्यमंत्री बनकर फिर दिल्ली की गद्दी पर आएंगे
और अगर नहीं तो फिर जिसको नरेंद्र मोदी चाहेंगे वो दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनेगा ''
शुरूआती आंकलन है , चुनावी माहौल रोज़ बदलता है और यही राजनीती और लोकतंत्र मज़ा है
What about Modi for PM Kejriwal for CM.. As people on NDTV were saying in 2013.
ReplyDeleteNice article...but please ye baye ki middle class voyes mein se arvind ko kitne % log chahte hain?kya 100% middle class BJP ke favour mein h?
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