पहली बार चुनाव आयोग ने अपना चाबुक चलाया है
अमित शाह और आज़म खान को भड़काऊ भाषण देने के चलते
अब चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगा दी है
अच्छा है वरना चुनाव आयोग की हालत ऐसी हो गयी थी जैसे
परीक्षा के दौरान मास्टरजी आते हैं और पर्चे बाँट देते हैं
और जब परीक्षा के दौरान बच्चे चीटिंग करते हैं या फर्रे चलाते हैं
तो मास्टरजी उस तरफ देखकर हल्का सा खांसते हैं
बच्चे थोड़ा सा सतर्क होकर थोड़ी देर बाद फिर चीटिंग करते हैं या फर्रे चलाते हैं
जब मास्टरजी देखते हैं कि बालक नालायक हैं और ऐसे नहीं मानेंगे तो मास्टरजी उठकर जाकर उस जगह का राउंड मारते हैं
ऐसा करके वो एक बार फिर बच्चों को शरारत करने से रोकते हैं
तीन घंटे के एग्जाम में ऐसा खूब चलता है
ज़्यादा हो तो मास्टर जी जाकर एक आधे का कान पकड़कर मरोड़ते हैं हैं और पूछ लेते हैं की ''पापा क्या करते हैं तेरे ''?
वैसे मास्टरजी पूछते तो ऐसे हैं जैसे उसके पापा से कोई काम निकलवाना हो उनको
जवाब कुछ भी हो मास्टर जी ये कहकर छोड़ देते हैं कि पढ़ाई नहीं करी पूरे साल ?
तीन घंटे में से ढ़ाई घंटे घंटे यही सब चलता है और आखिरी के आधे घंटे में मास्टरजी ना उस तरफ देखते हैं
ना ही बच्चों को मास्टरजी का कोई ख़ास डर रहता है
मास्टरजी सोचते हैं कि कोई नहीं बच्चा पास हो जाएगा तो मेरा क्या जाएगा
बच्चे को भी पता होता है कि मास्टरजी ने कुछ करना होता तो अब तक कर देते
इसलिए सब कुछ बदस्तूर चलता रहता है
बच्चे बाद में अपने दोस्तों में अपनी शौर्य गाथा सुनाते हैं कि कैसे उन्होंने मास्टरजी को सेट कर दिया
लेकिन जब ये बात मास्टरजी को पता चलती है कि वो बालक मेरा ऐसे मज़ाक उड़ा रहा था
तो एक दिन मास्टरजी को मौका मिलता है तो नक़ल करते वक़्त बच्चे को पकड़ लिया करते हैं
और पेपर कैंसिल कर देते हैं ..... इस एक कार्रवाई से आसपास के और बच्चे सहम जाते हैं
और दोबारा ऐसी हरकत से डरते हैं ....
शायद चुनाव आयोग ने आज कुछ ऐसा ही सन्देश देने की कोशिश की है
वरना अब तक तो बस यही खबर सुनते थे कि चुनाव आयोग ने इस नेता उस नेता को जारी किया नोटिस
चुनाव आयोग नाराज़ , चुनाव आयोग ने नाखुशी ज़ाहिर की वगैरह वगैरह
आज कुछ सॉलिड हुआ है , उम्मीद है कि भाई लोग सुधरेंगे
अमित शाह और आज़म खान को भड़काऊ भाषण देने के चलते
अब चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगा दी है
अच्छा है वरना चुनाव आयोग की हालत ऐसी हो गयी थी जैसे
परीक्षा के दौरान मास्टरजी आते हैं और पर्चे बाँट देते हैं
और जब परीक्षा के दौरान बच्चे चीटिंग करते हैं या फर्रे चलाते हैं
तो मास्टरजी उस तरफ देखकर हल्का सा खांसते हैं
बच्चे थोड़ा सा सतर्क होकर थोड़ी देर बाद फिर चीटिंग करते हैं या फर्रे चलाते हैं
जब मास्टरजी देखते हैं कि बालक नालायक हैं और ऐसे नहीं मानेंगे तो मास्टरजी उठकर जाकर उस जगह का राउंड मारते हैं
ऐसा करके वो एक बार फिर बच्चों को शरारत करने से रोकते हैं
तीन घंटे के एग्जाम में ऐसा खूब चलता है
ज़्यादा हो तो मास्टर जी जाकर एक आधे का कान पकड़कर मरोड़ते हैं हैं और पूछ लेते हैं की ''पापा क्या करते हैं तेरे ''?
वैसे मास्टरजी पूछते तो ऐसे हैं जैसे उसके पापा से कोई काम निकलवाना हो उनको
जवाब कुछ भी हो मास्टर जी ये कहकर छोड़ देते हैं कि पढ़ाई नहीं करी पूरे साल ?
तीन घंटे में से ढ़ाई घंटे घंटे यही सब चलता है और आखिरी के आधे घंटे में मास्टरजी ना उस तरफ देखते हैं
ना ही बच्चों को मास्टरजी का कोई ख़ास डर रहता है
मास्टरजी सोचते हैं कि कोई नहीं बच्चा पास हो जाएगा तो मेरा क्या जाएगा
बच्चे को भी पता होता है कि मास्टरजी ने कुछ करना होता तो अब तक कर देते
इसलिए सब कुछ बदस्तूर चलता रहता है
बच्चे बाद में अपने दोस्तों में अपनी शौर्य गाथा सुनाते हैं कि कैसे उन्होंने मास्टरजी को सेट कर दिया
लेकिन जब ये बात मास्टरजी को पता चलती है कि वो बालक मेरा ऐसे मज़ाक उड़ा रहा था
तो एक दिन मास्टरजी को मौका मिलता है तो नक़ल करते वक़्त बच्चे को पकड़ लिया करते हैं
और पेपर कैंसिल कर देते हैं ..... इस एक कार्रवाई से आसपास के और बच्चे सहम जाते हैं
और दोबारा ऐसी हरकत से डरते हैं ....
शायद चुनाव आयोग ने आज कुछ ऐसा ही सन्देश देने की कोशिश की है
वरना अब तक तो बस यही खबर सुनते थे कि चुनाव आयोग ने इस नेता उस नेता को जारी किया नोटिस
चुनाव आयोग नाराज़ , चुनाव आयोग ने नाखुशी ज़ाहिर की वगैरह वगैरह
आज कुछ सॉलिड हुआ है , उम्मीद है कि भाई लोग सुधरेंगे
Solid hota to nomination cancel ho jata
ReplyDeleteBut it was very nice context to compare between exam and election... I am an assisstant professor myself in a college...so i know the atmosphere of examination hall
ReplyDeleteAAP के घमासान आजकल जोरो पर है.उसके बारे में कुछ लिखिए
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